मेरी
अभी उत्तराखंड त्रासदी से जूझते वायु सेना के हेलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसके ब्लैक बॉक्स की चर्चा हुई तो मुझे अपनी गाड़ी में लगे ब्लैक बॉक्स का ध्यान आया. ब्लैक बॉक्स के नाम से बस एक ही तस्वीर सामने आती है वो होती है हवाई ज़हाज़ की.
इस ब्लैक बॉक्स के सहारे किसी दुर्घटना की स्थिति में हवाई ज़हाज़ केविभिन्न मापदंडों में हुए उतार चढ़ाव का लेखा जोखा (Flight Data Recorder -FDR) देख कर तथा चालक केबिन की आवाजें (Cockpit Voice Recorder -CVR) सुनकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि आखिर दुर्घटना के अंतिम क्षणों में हुआ क्या था?
मेरी कार में ऐसा ही एक ब्लैक बॉक्स लगा हुआ है, आज उसी पर बात की जाए.
पहले थोड़ी जानकारी हो जाए हवाई ज़हाज़ के ब्लैक बॉक्स की. इस ब्लैक बॉक्स में उड़ान के पिछले 25 घंटों के दौरान गति, ऊँचाई, तापमान, वायु दबाव जैसे लगभग 50 मापदंडों का हिसाब रखा जाता है, चालाक केबिन में होने वाली आवाजों का 2 घंटों तक का रिकॉर्ड रहता है, इससे जानकारियाँ निकालने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है. कीमत होती है लगभग 20,000 अमेरिकी डॉलर.
पिछले दिनों फ़ॉरेस्ट एवेन्यू पर जवाहर उद्यान चौक पर गलत दिशा से आता एक बाईक सवार मेरी मारूति ईको की चपेट में आते आते बचा. वो तो गनीमत थी कि ठीक उसी समय पुलिस की जीप वहां से गुजर रही थी जिसमे सवार लोगों ने सारा नज़ारा देखा और उस युवक को ले गए आगे की कार्यवाही के लिए. वे ना होते और अगर ज़रा सी खरोंच भी आती उस बच्चे को तो क़ानून, समाज का सारा नज़ला मुझ पर ही गिरना तय था.
ऎसी ही दो घटनाएँ और हुईं. तब मैंने इस ब्लैक बॉक्स को लगाने का निर्णय लिया जिसकी कीमत है महज 5800 रूपए.
स्थानीय बाज़ार में यह मिला नहीं. ई-बे के सहारे यह 5 दिनों में घर पहुँच गया. विंडस्क्रीन पर बड़ी आसानी से वैक्यूम आधार के कारण फिट भी हो गया. गाड़ी में लगे 12 वोल्ट के सिगरेट लाईटर से एक विशिष्ट एडाप्टर के सहारे जोड़ कर इसे 5 वोल्ट भी दे दिए गए. जीपीएस सेंसर अलग से दिया गया है उसे भी जोड़ दिया गया, उपकरण की ज़रूरी सेटिंग्स की गई और फिर हम उत्सुकता के मारे भाग खड़े हुए टेस्टिंग के लिए.
आगे-पीछे लगे दोहरे कैमरे वाले इस उपकरण पर देखने वाले को इसकी 2.7 इंच की स्क्रीन पर महज वीडियो ही नज़र आता है. चाहें तो इस वीडियो को केवल अंदर का ही देख लें, चाहें तो केवल बाहर का और मन करे तो दोनों एक साथ दिख जायेंगे.
खूबियाँ तो बहुत हैं. दोहरे कैमरे हैं. बाहरी कैमरा 140 अंश के कोण तक के दृश्य समेटता है तो अंदरूनी कैमरा 120 अंश तक वाहन के अंदर के दृश्य फिल्माता चलता है. साथ ही साथ उपकरण का माईक, गाड़ी के अंदर के सारे वार्तालाप भी रिकॉर्ड करता जाता है
खड़े वाहन को कोई टक्कर मार दे, तीखे ब्रेक लगा कर चलते वाहन को एकाएक रूकना पड़े, स्पीड ब्रेकर पर उछलना हो, गड्ढे में गोता लगाना पड़े. यह सब X, Y , Z आयाम इस ब्लैक बॉक्स में दर्ज हो जाते हैं G-Sensor के सहारे.
जीपीएस के द्वारा कार की सारी भौगोलिक स्थिति भी रिकॉर्ड होते जाती है जिसे गूगल मैप्स पर सेकेण्ड दर सेकेण्ड देखा जा सकता है.
उपकरण में बाहरी मेमोरी कार्ड होना ज़रूरी है जो साथ में नहीं दिया जाता. अधिकतम क्षमता 32 जीबी की है जो मुझे बाज़ार में 1000 रूपए की मिली.इसके द्वारा, दोहरे कैमरे सहित आवाज़ की रिकॉर्डिंग लगभग 7 घंटे की हो जाती है.
यदि मेमोरी कार्ड भर जाए तो ये उपकरण सबसे पहली रिकॉर्डिंग हटा कर उसके स्थान पर स्वयं ताज़ा रिकॉर्डिंग प्रारंभ कर देता है. याने कि लूप रिकॉर्डिंग. ज़्यादा स्पष्ट तरीके से कहा जाए तो किसी भी क्षण, अंतिम 7 घंटों का डाटा हमेशा मौजूद मिलेगा.
वैसे तो इसी उपकरण में, रिकॉर्ड हुआ साधारण वीडियो-ऑडियो पुन: चला कर देख सुन सकते हैं. किंतु संवेदनशील डाटा तभी दिखेगा जबमेमोरी कार्ड को निकाल कर कंप्यूटर से जोड़ा जाए.
रात की मद्धिम रोशनी वाले दृश्य भी फिल्मा सकने वाले इस यंत्र को कई लोग ‘चोंचला’ भी कह सकते हैं और दिखावा भी. लेकिन आजकल सड़क पर हो रहीं छोटी छोटी अनहोनी कब भारी मुसीबत बन जाए कहा नहीं जा सकता. बीमा कंपनियां भी अब बेहद सतर्क रहती हैं किसी घातक दुर्घटना के परिदृश्य में. और अपने सारे जीवनकाल में इस ब्लैक बॉक्स की कीमत तो सालाना वाहन बीमा राशि से भी कम है. फिर तकनीक का लाभ क्यों ना उठाया जाए अपने बचाव में?
क्या ख्याल है आपका?
मेरी कार का कॉकपिट और उसका ब्लैक बॉक्स,
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